हर गृहस्थ को चाहिए कि वह द्रव्य से देवताओं को, कव्य से पितरों को, अन्न से अपने बंधुओं-अतिथियों तथा भिक्षुओं को भिक्षा देकर प्रसन्न करें। इससे उन्हें यश, पुष्टि तथा उत्तम लोकों की प्राप्ति होती है।
↧