- जिनके पिता संन्यासी हो गए हो उनका श्राद्ध द्वादशी तिथि को किया जाना चाहिए।
- जिनके पिता का देहांत इस तिथि को हुआ है उनका श्राद्ध भी इसी तिथि को करते हैं।
- इस तिथि को ‘संन्यासी श्राद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है।
- द्वादशी श्राद्ध करने से राष्ट्र का कल्याण तथा प्रचुर अन्न की प्राप्ति कही गयी है।
- एकादशी और द्वादशी को वैष्णव संन्यासियों का श्राद्ध करते हैं।
- इस दिन पितरगणों के अलावा साधुओं और देवताओं का भी आह्वान किया जाता है।
- इस दिन संन्यासियों को भोजन कराया जाता है या भंडारा रखा जाता है।
- इस तिथि में 7 ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है। यदि यह संभव न हो तो जमाई या भांजे को भोजन कराएं।
- इस श्राद्ध में तर्पण और पिंडदान के बाद पंचबलि कर्म भी करना चाहिए।